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कितने प्यारे होते हैं ना "अत्री" बचपन के दिन..||\/||
ना कोई फ़िक्र
ना कोई खबर
जब मन में आये तब सोना
ना सुनने पर जोर से रोना
बिना भूक के खाना
हर घण्टे पानी में नहाना
हर किसी को धमकाना
हऊआ बोल के चिल्लाना
काम निकलवाने के लिए मासूम बन जाना
और काम निकल जाने पर ठेंगा दिखाना
कितने प्यारे होते हैं ना "अत्री" बचपन के दिन..||\/||
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