जो ख़ुद उदास हो, वो क्या ख़ुशी लुटाएगा
बुझे दिये से दिया किस तरह जलाएगा
कमान ख़ुश है कि तीर उसका कामयाब रहा
मलाल भी है कि अब लौटकर न आएगा
वो बंद कमरे के गमले का फूल है यारो
वो मौसमों का भला हाल क्या बताएगा
मैं जानता हूँ, तेरे बाद मेरी आँखों में
बहुत दिनों तेरा अहसास झिलमिलाएगा
तुम उसको अपना समझ तो रहे हो मगर
भरम, भरम है, किसी रोज़ टूट जाएगा
बुझे दिये से दिया किस तरह जलाएगा
कमान ख़ुश है कि तीर उसका कामयाब रहा
मलाल भी है कि अब लौटकर न आएगा
वो बंद कमरे के गमले का फूल है यारो
वो मौसमों का भला हाल क्या बताएगा
मैं जानता हूँ, तेरे बाद मेरी आँखों में
बहुत दिनों तेरा अहसास झिलमिलाएगा
तुम उसको अपना समझ तो रहे हो मगर
भरम, भरम है, किसी रोज़ टूट जाएगा
Comments
Post a Comment