Rahul Raz |
"बीते पलों के अफसाने लिख रहा हूँ ,
जिंदिगी में तेरे तराने लिख रहा हूँ || काटे नहीं कटते ये दिन और ये रातें , वक़्त कटाने के बहाने लिख रहा हूँ || तेरे बाँहों में उस चौदंवी शब् की रात में, देखे थे जो सपने सुहाने लिख रहा हूँ || वो तुझको हँसाना वो तुझको मनाना , तेरे मेरे प्यार की दास्तानें लिख रहा हूँ || कही धुंधली न पड़ जायें वो यादें हमारी , नई कलम से गीत पुराने लिख रहा हूँ || जबसे छोड़ा है तूने तन्हा हमें अकेला , ग़ज़लों में बेवफाई के किस्से लिख रहा हूँ || -राहुल 'राज' |
Comments
Post a Comment