इक बात होठों तक है जो आयी नहीं
बस आखों से है झांकती
तुमसे कभी, मुझसे कभी
कुछ लफ़्ज़् है वो मांगती
जिनको पहनके होठों तक आ जाये वो
…आवाज़् की बाहों में बाहें डालके इठलाए वो
लेकिन जो ये इक बात है
एहसास ही एहसास है
खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती
खुशबू जो बे-आवाज़ है
जिसका पता तुमको भी है
जिसकी खबर मुझको भी है
दुनियां से भी छुपता नहीं
ये जाने कैसा राज़ है......
----ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा.....
By_
Er. Rohit Kushwah
बस आखों से है झांकती
तुमसे कभी, मुझसे कभी
कुछ लफ़्ज़् है वो मांगती
जिनको पहनके होठों तक आ जाये वो
…आवाज़् की बाहों में बाहें डालके इठलाए वो
लेकिन जो ये इक बात है
एहसास ही एहसास है
खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती
खुशबू जो बे-आवाज़ है
जिसका पता तुमको भी है
जिसकी खबर मुझको भी है
दुनियां से भी छुपता नहीं
ये जाने कैसा राज़ है......
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