सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुए थे हम.. .उसने समेटा ज़रूर...मगर जलाने के लिए...

सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुए थे हम.. .
उसने समेटा ज़रूर...मगर जलाने के लिए...

Jitesh Attry

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