छोड़िए छोड़िए यह ढंग पुराना साहिब !

छोड़िए छोड़िए यह ढंग पुराना साहिब !
ढूँढिए आप कोई और बहाना साहिब !

खत्म आख़िर हुआ हस्ती का फ़साना साहिब
आप से सीखे कोई साथ निभाना साहिब !

भूल कर ही सही ख़्वाबों में चले आयें आप
हो गया देखे हुए एक ज़माना साहिब !

हमने हाथों की लकीरों में तुम्हें ढूँढा था
वो भी था इश्क़ का क्या एक ज़माना साहिब !

क्यों गए ,कैसे गए ,ये तो हमें याद नहीं
हाँ मगर याद है वो आप का आना साहिब !

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