सोच बदलनी होगी

बहुत दिन नहीं हुए... शायद १५ दिन.. मैं अपने दोस्त के घर में था . तभी एक फ़ोन आया.. मेरे दोस्त के पिताजी को. उनके किसी साथी को यहाँ बच्चे का जन्म हुआ था...
क्या हुआ लड़का..? उन्होंने पूछा..
स्पीकर बंद था.. दूसरी तरफ की आवाज़ मैं न सुन सका..
अंकल के चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी.. वो जोर से बोले ...क्या करते हो गुप्ता जी फिर लड़की ....मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया... स्पीकर अभी भी बंद था..लेकिन दूसरी...... तरफ से आवाज सुनाई दी... ऐसा नहीं होता अंकल जी... लड़कियां बहुत अच्छी होती हैं.. मुझे लड़की ही चाहिए थी.

टीवी पर चर्चा हो रही थी. एक लड़की का बलात्कार हो गया था. एक महोदय बोले लड़कियों को कम फैशन करना चाहिए... लेकिन क्यों.....
कई प्रश्न उठते हैं.. सबसे पहला कि क्या कम फैशन करने से ऐसे अपराध नहीं होंगे? इससे भी खतरनाक प्रश्न यह है कि ऐसे अपराध करने वाले लोग भेड़िये हैं... जो लड़कियों को देखते ही आप खो देते हैं.. अगर सचमुच ऐसा है तो पर्दा करने की जरूरत किसे है?.. ऐसे संदिग्ध लोगों की आखों पर पट्टियाँ बांध देनी चाहिए.. पर्दे की जरूरत उन लोगों को है न की मासूम लड़कियों को..
दूसरी बात क्या सचमुच फैशन ही जिम्मेदार है ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के लिए? तो क्या कारण है की दूध पीती बच्चियों के बलात्कार हो जाते हैं? क्यों मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़कियों पर कहर टूटता है..
यह कैसी सोच है कि फैशन पर रोक लगा दो... रोक तो उन लोगों पर लगनी चाहिए जो ऐसे भयानक बयान देते हैं.. सोच बदलनी होगी ऐसी लोगों की.. अगर नहीं तो ऐसी सोच रखने वालों को ही बदल देना होगा.. ......?

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