वोह सुबह कभी तो आएगी

तलाश है उस सूरज की जो रौशनी मुझे दिखाएगी
अँधेरी रातों की वोह सुबह कभी तो आएगी

ख्वाइश है ऐसी मुकम्मल जहां बनानेकी
जिस जहाँ से मुकद्दर सदा मुस्कुराएगी

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